Monday, July 30, 2018

#INDEPENDENCE DAY POEM, #BEST INDEPENDENCE POEM IN HINDI & ENGLISH , Best Deshbhakthi Poem


Independence day poem

Mera Pyara Desh Poem on Independence Day in Hindi

Pyara pyara mera desh,
Sajaa-sanwaara mera desh,
Duniya jis par garv kare–
Nayan sitaara mera desh.
Chaandi-sona mera desh,
Safal salona mera desh,
Sural jaisa aalokit–
Sukh ka kona mera desh.
Phoolon waala mera desh,
Jhoolon waala mera desh,
Ganga-Yamuna ki maala ka,
Phoolon waala mera desh.
Aage jaaye mera desh,
Nit naye muskaaye mera desh.
Itihaason mein barh-charh kar
Naam likhaaye mera desh

Sad Emotional Desh Bhakti Kavita

हम तो आज़ाद हुए लड़कर पर
आज़ादी के बाद भी लड़ रहे है
पहले अंग्रेजो से लड़े थे
अब अपनों से लड़ रहे है
आज़ादी से पहले कितने
ख्वाब आँखों में संजो रखे थे
अब आजादी के बाद वो
ख्वाब ,ख्वाब ही रह गए है
अब तो अंग्रेज़ी राज और
इस राज में फर्क न लगे
पहले की वह बद स्थिति
अब बदतर हो गई है ..

Independence Day Kavita in Hindi

Uth mere veer javan uth,
Uth mere veer javan uth,
Lahlahaati is dharti me aaj,
Fir nayaa josh aaya hai !
Kadam apne dagmagaane na dena,
Kyonki jaane vala yah kala sayaa hai !
Uth mere veer javan uth,
Uth mere veer javan uth,
Svatantrataa ka samay ab aaya hai
Svatantrataa ka samay ab aaya hai !
Laal, baal, paal, jaiso ne jo kasme khaai thi,
Use pura karne ka samay ab aaya hai !
Bahut kiya raaj angrajo ne,
Aaya samay ab hamara hai !
Uth mere veer javan uth,
Svatantrta ka samay ab aaya hai !

Very Sad Independence Day Poem in Hindi

ये कैसी आज़ादी है ,
हर तरफ बर्बादी है ,
कही दंगे तो कही फसाद है ,
कही जात पात तो कही ,
छुवा छूत की बीमारी है |
हर जगह नफरत ही नफरत ,
तो कही दहशत के अंगारे है
क्या नेता क्या वर्दी वाले ,
सभी इसके भागीदारी है .

 Inspirational Poem on Independence Day 2017

Bharat maa ke amar saputon,
Path par aage badhate jaana.
Parwat nadiyaan aur samandar,
Hans kar paaya sabhi kar jaana.
Tumame Himgiri ki unchaayi,
Saagar jaisi geharaayi hai.
Leharon ki masti hai tum mein,
Suraj jaisi tarunaayi hai.
Bhagat Singh, Rana Pratap ka,
Behata rakt tumhaare tan mein,
Gautam, Gandhi, Mahaveer sa,
Rehata satya tumhaare man mein.
Sankat aaya jab dharti par,
Tumane bhishan sangraam kiya.
Maar bhagaaya dushman ko fir,
Jag mein apana naam kiya.
Aane waale naye vishav mein,
Tum bhi kuchh kar ke dikhlaana.
Bharat ke unnat lalaat ko,
Jag mein unchaa aur uthaana.

Nanhe nanhe pyaare pyaare,
Gulshan ko mehakaane waale,
Sitaare jamin par laane waale
Hum bachche Hindustan ke.

Naye jamaane ke diwaale,
Toofaan se na darnw waale,
Kahalaate hain himmat waale,
Hum bachche Hindustan ke.

Chalate hain hum shaan se,
Bachate hain hum dvesh se,
Aan pe ho jaayein kurbaan,
Hum bachche Hindustan ke.

Bharat Desh Kavita

Maathe par giri-raj himalay
Baccho apni shan hai dikhaata
Charno mein bhaarat mata key
Saagar bhi hai sheesh jhukaata
Paschhim aur purab ke jungal mein
Bhaag sher sab paye jaatey
Nadiyo mein ghadiyaal magar sub
Apnaa roop dikhaatey
Mitti ore hawaa deti hai
Dharti ko mohak pareevesh
Issi liye toh pyaare baccho
Anokha sabsey bhaarat desh!



15 अगस्त का दिन है आया:

15 अगस्त का दिन है आया,
लाल किले पर तिरंगा है फहराना,
ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,
सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,
वतन हमारा आजाद हुआ था,
न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,

न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,
हमने आजादी को पाया था,
भारत माता की आजादी की खातिर,
वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था,
उनके बलिदानों की खातिर ही,
दिलानी है भारत को नई पहचान अब,
विकास की राह पर कदमों को,
बस अब यूं-ही बढ़ाते हैं जाना,
खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,
एक नया इतिहास है बनाना,
जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को है मिटाना,
हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना,
वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,
राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,
भारतीयों को आजादी अर्थ है समझाना।।
.........................................जय हिन्द, जय भारत
.
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का............................।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
..............................जय हिन्द जय भारत






स्वतंत्रता दिवस पर कविताएं





स्वतंत्रता दिवस
स्वतंत्रता दिवस पर कविता, 15 अगस्त को देश के आजाद होने पर अपने भावों की काव्यात्मक अभिव्यक्ति का प्रदर्शन है। हमारा देश 15 अगस्त 1947 को एक लम्बें स्वतंत्रता संग्राम के बाद आजाद हुआ था। तभी से हर साल 15 अगस्त को हम स्वतंत्रता दिवस के रुप में मनाते हैं। हम यहाँ स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में कुछ स्वरचित कविताएं प्रदान कर रहे हैं:

भारत के स्वतंत्रता दिवस पर कविता

15 अगस्त के उपलक्ष्य में कविता:


15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
आजादी के 69 साल बाद भी क्या,
समझ पाए आजादी का मतलब हम,
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,

जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम,
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हम,
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का,
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम,
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि हमारी को भ्रमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है,
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब,
देश पर हुए शहीदों की खातिर,
समझो आजादी का मतलब अब।।
  • जय हिन्द, जय भारत।
......................................................................................वन्दना शर्मा।
15 अगस्त का दिन है आया:

15 अगस्त का दिन है आया,
लाल किले पर तिरंगा है फहराना,
ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,
सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,
वतन हमारा आजाद हुआ था,
न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,

न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,
हमने आजादी को पाया था,
भारत माता की आजादी की खातिर,
वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था,
उनके बलिदानों की खातिर ही,
दिलानी है भारत को नई पहचान अब,
विकास की राह पर कदमों को,
बस अब यूं-ही बढ़ाते हैं जाना,
खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,
एक नया इतिहास है बनाना,
जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को है मिटाना,
हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना,
वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,
राष्ट्र का बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,
भारतीयों को आजादी अर्थ है समझाना।।
.........................................जय हिन्द, जय भारत।
......................................................................................वन्दना शर्मा।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है:

स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का............................।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
..............................जय हिन्द जय भारत।
......................................................................................वन्दना शर्मा।


बच्चो के लिए स्वतंत्रता दिवस पर कविता:

हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का मतलब नहीं है समझते।
इस दिन पर स्कूल में तिरंगा है फहराते,
गाकर अपना राष्ट्रगान फिर हम,
तिरंगे का सम्मान है करते,
कुछ देशभक्ति की झांकियों से
दर्शकों को मोहित है करते
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ यही है समझते।
वक्ता अपने भाषणों में,
न जाने क्या-क्या है कहते,
उनके अन्तिम शब्दों पर,
बस हम तो ताली है बजाते।
हम नन्हें-मुन्ने है बच्चे,
आजादी का अर्थ सिर्फ इतना ही है समझते।
विद्यालय में सभा की समाप्ति पर,
गुलदाना है बाँटा जाता,
भारत माता की जय के साथ,
स्कूल का अवकाश है हो जाता,
शिक्षकों का डाँट का डर,
इस दिन न हमको है सताता,
छुट्टी के बाद पतंगबाजी का,
लुफ्त बहुत ही है आता,
हम नन्हें-मुन्ने हैं बच्चे,
बस इतना ही है समझते,
आजादी के अवसर पर हम,
खुल कर बहुत ही मस्ती है करते।।
................................................भारत माता की जय।



कस ली है कमर अब तो, कुछ करके दिखाएंगे,
आजाद ही हो लेंगे, या सर ही कटा देंगे
हटने के नहीं पीछे, डरकर कभी जुल्मों से
तुम हाथ उठाओगे, हम पैर बढ़ा देंगे
बेशस्त्र नहीं हैं हम, बल है हमें चरख़े का,
चरख़े से ज़मीं को हम, ता चर्ख़ गुंजा देंगे
परवाह नहीं कुछ दम की, ग़म की नहीं, मातम की,
है जान हथेली पर, एक दम में गंवा देंगे
उफ़ तक भी जुबां से हम हरगिज़ न निकालेंगे
तलवार उठाओ तुम, हम सर को झुका देंगे
सीखा है नया हमने लड़ने का यह तरीका
चलवाओ गन मशीनें, हम सीना अड़ा देंगे
दिलवाओ हमें फांसी, ऐलान से कहते हैं
ख़ूं से ही हम शहीदों के, फ़ौज बना देंगे
मुसाफ़िर जो अंडमान के, तूने बनाए, ज़ालिम
आज़ाद ही होने पर, हम उनको बुला लेंगे


जिस देश में गंगा बहती है: शैलेन्द्र
होठों पे सच्चाई रहती है, जहां दिल में सफ़ाई रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
मेहमां जो हमारा होता है, वो जान से प्यारा होता है
ज़्यादा की नहीं लालच हमको, थोड़े मे गुज़ारा होता है
बच्चों के लिये जो धरती माँ, सदियों से सभी कुछ सहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
कुछ लोग जो ज़्यादा जानते हैं, इन्सान को कम पहचानते हैं
ये पूरब है पूरबवाले, हर जान की कीमत जानते हैं
मिल जुल के रहो और प्यार करो, एक चीज़ यही जो रहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है
जो जिससे मिला सिखा हमने, गैरों को भी अपनाया हमने
मतलब के लिये अन्धे होकर, रोटी को नही पूजा हमने
अब हम तो क्या सारी दुनिया, सारी दुनिया से कहती है
हम उस देश के वासी हैं, हम उस देश के वासी हैं
जिस देश में गंगा बहती है..

स्वतंत्रता दिवस की पुकार  (काव्य)

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Author: अटल बिहारी वाजपेयी

पन्द्रह अगस्त का दिन कहता - आज़ादी अभी अधूरी है।
सपने सच होने बाक़ी हैं, राखी की शपथ न पूरी है॥
जिनकी लाशों पर पग धर कर आजादी भारत में आई।
वे अब तक हैं खानाबदोश ग़म की काली बदली छाई॥
कलकत्ते के फुटपाथों पर जो आंधी-पानी सहते हैं।
उनसे पूछो, पन्द्रह अगस्त के बारे में क्या कहते हैं॥
हिन्दू के नाते उनका दुख सुनते यदि तुम्हें लाज आती।
तो सीमा के उस पार चलो सभ्यता जहाँ कुचली जाती॥
इंसान जहाँ बेचा जाता, ईमान ख़रीदा जाता है।
इस्लाम सिसकियाँ भरता है,डालर मन में मुस्काता है॥
भूखों को गोली नंगों को हथियार पिन्हाए जाते हैं।
सूखे कण्ठों से जेहादी नारे लगवाए जाते हैं॥
लाहौर, कराची, ढाका पर मातम की है काली छाया।
पख़्तूनों पर, गिलगित पर है ग़मगीन ग़ुलामी का साया॥
बस इसीलिए तो कहता हूँ आज़ादी अभी अधूरी है।
कैसे उल्लास मनाऊँ मैं? थोड़े दिन की मजबूरी है॥
दिन दूर नहीं खंडित भारत को पुनः अखंड बनाएँगे।
गिलगित से गारो पर्वत तक आजादी पर्व मनाएँगे॥
उस स्वर्ण दिवस के लिए आज से कमर कसें बलिदान करें।
जो पाया उसमें खो न जाएँ, जो खोzया उसका ध्यान करें॥
- अटल बिहारी वाजपेयी









स्वतंत्रता दिवस

15 अगस्त पर कविता – बच्चों के लिए स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविताएँ हिंदी में

15 अगस्त पर कविता हिंदी में
Written by Hindi Parichay Team
आज हम आपके लिए 15 अगस्त पर कविता लेकर आयें है| वैसे तो दुनिया में अलग अलग विषय पर बहुत सारी कवितायेँ है लेकिन यकीन मानिये 15 अगस्त पर कविता को पड़ने का आनंद ही कुछ और है.
15 अगस्त के शुभ अवसर पर लोगों को अपने देशवासियों को 15 अगस्त की दिल को छु देने वाली कवितायेँ जरुर शेयर करें.
15 अगस्त की कविता को बच्चे अपने स्कूल और कॉलेज में 15 अगस्त के दिन इन कविताओं को बोल कर सब का दिल जित सकते हैं और लोगों को देश प्रेम के प्रति जागरूक करा सकते हैं.
बड़े बुजुर्ग लोगों को 15 अगस्त की कवितायेँ पड़ने में अलग तरह का आनंद आता है| लोगों को उनके आजादी के इस त्यौहार की कद्र होती है उन्हें पता है की आजादी का त्यौहार लोगों के दिलों को छु लेता है.
वैसे तो एक बात कहूँ आज 15 अगस्त हैं दिल में पतंग उड़ाने के लिए तो ढेर सारी उमंगे आ रही होंगी लेकिन जरा इन 15 अगस्त की कविताओं पर भी एक नजर दे दीजिये.
अन्य लेख ⇓

बच्चों के लिए 15 अगस्त पर कविता हिंदी में

@1.
आओ सब मिल कर पतंग उड़ायें, हो जाये सब मस्त,
भेद भाव ना कोई रखें, आ गयी है 15 अगस्त,
रंग बिरंगी , नीली पिली , पतंग है लहराती,
काली काली घटाए भी, अबी इसमें छुप जाती है,
हरे भगवे रंग से रंगा असमान लगे प्यारा,
हमें गर्व है भारत पे, जो देश है हमारा,
चुमों मट्टी को जिसमे यमुना सरस्वती ओर गंगा,
झूमे नाचे अब लहराते रहे हमारा प्यारा तिरंगा…

Poem on Independence Day in Hindi For Class 1 To 12

@2.
15 अगस्त 1947 को हो गए थे आजाद हम,
आजादी के 69 साल बाद भी क्या,
समझ पाए आजादी का मतलब हम,
पहले ब्रिटिश शासन के तहत,
जकड़े थे गुलामी के बेड़ियों में,
आज संविधान लागू होने के बाद भी,
जाति-पाति के कारण हो गए हैं,
अपने ही देश में गुलाम हम,
पहले रंग-भेद के जरिए गोरों ने हमको बाँटा था,
आज हमारे अपनो ने ही,
बाँट दिए जातिवाद और धर्मवाद के नाम पर हम,
जो भारत पहचान था कभी,
एकता, अखण्डता और विविधता का,
वो भारत ही झेल रहा है दंश अब आन्तरिक खंडता का,
बाँधा था जिन महान देशभक्त नेताओं ने,
अपने बलिदानों से एकता के सूत्र में हमें,
अपने ही कर्मों से अब उनकी आत्माओं को,
दे रहे हैं लगातार त्राश हम,
जातिवाद, आरक्षण और धर्मवाद ने,
बुद्धि हमारी को भ्रमाया है,
राजनेताओं ने अपने हित की खातिर,
हमको आपस में लड़वाया है,
बहुत हुआ सर्वनाश अपना,
कुछ तो खुद को समझाओं अब,
देश पर हुए शहीदों की खातिर,
समझो आजादी का मतलब अब।
जय हिन्द, जय भारत।
-वन्दना शर्मा।

Short Poem on 15 August in Hindi – 15 अगस्त पर कविता

@3.
15 अगस्त का दिन है आया: स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है:
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी-विश्व का गान अमर है।
देश-हित सबसे पहले है,
बाकि सबका राग अलग है।
स्वतंत्रता दिवस का……………………….।
आजादी के पावन अवसर पर,
लाल किले पर तिरंगा फहराना है।
श्रद्धांजलि अर्पण कर अमर ज्योति पर,
देश के शहीदों को नमन करना है।
देश के उज्ज्वल भविष्य की खातिर,
अब बस आगे बढ़ना है।
पूरे विश्व में भारत की शक्ति का,
नया परचम फहराना है।
अपने स्वार्थ को पीछे छोड़ककर,
राष्ट्रहित के लिए लड़ना है।
बात करे जो भेदभाव की,
उसको सबक सिखाना है।
स्वतंत्रता दिवस का पावन अवसर है,
विजयी विश्व का गान अमर है।
देश हित सबसे पहले है,
बाकी सबका राग अलग है।।
……..जय हिन्द जय भारत।



Desh Bhakti Ki Kavita in Hindi For School Students – स्वतंत्रता दिवस पर बाल कविता हिंदी में
@4.
15 अगस्त का दिन है आया,
लाल किले पर तिरंगा है फहराना,
ये शुभ दिन है हम भारतीयों के जीवन का,
सन् 1947 में इस दिन के महान अवसर पर,
वतन हमारा आजाद हुआ था,
न जाने कितने अमर देशभक्त शहीदों के बलिदानों पर,
न जाने कितने वीरों की कुर्बानियों के बाद,
हमने आजादी को पाया था,
भारत माता की आजादी की खातिर,
वीरों ने अपना सर्वश लुटाया था,
उनके बलिदानों की खातिर ही,
दिलानी है भारत को नई पहचान अब,
विकास की राह पर कदमों को,
बस अब यूं-ही बढ़ाते हैं जाना,
खुद को बनाकर एक विकसित राष्ट्र,
एक नया इतिहास है बनाना,
जाति-पाति, ऊँच-नीच के भेदभाव को है मिटाना,
हर भारतवासी को अब अखंडता का पाठ है सिखाना,
वीर शहीदों की कुर्बानियों को अब व्यर्थ नहीं है गवाना,
राष्ट्र को बनाकर उज्ज्वल भविष्य अब,
भारतीयों को आजादी का अर्थ है समझाना।।
……जय हिन्द, जय भारत।




Subash Chandra Bose- Patriotic Poem

वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें उबाल का नाम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
आ सके देश के काम नहीं।
वह खून कहो किस मतलब का
जिसमें जीवन, न रवानी है!
जो परवश होकर बहता है,
वह खून नहीं, पानी है!
उस दिन लोगों ने सही-सही
खून की कीमत पहचानी थी।
जिस दिन सुभाष ने बर्मा में
मॉंगी उनसे कुरबानी थी।
बोले, “स्वतंत्रता की खातिर
बलिदान तुम्हें करना होगा।
तुम बहुत जी चुके जग में,
लेकिन आगे मरना होगा।
आज़ादी के चरणें में जो,
जयमाल चढ़ाई जाएगी।
वह सुनो, तुम्हारे शीशों के
फूलों से गूँथी जाएगी।
आजादी का संग्राम कहीं
पैसे पर खेला जाता है?
यह शीश कटाने का सौदा
नंगे सर झेला जाता है”
यूँ कहते-कहते वक्ता की
आंखों में खून उतर आया!
मुख रक्त-वर्ण हो दमक उठा
दमकी उनकी रक्तिम काया!
आजानु-बाहु ऊँची करके,
वे बोले, “रक्त मुझे देना।
इसके बदले भारत की
आज़ादी तुम मुझसे लेना।”
हो गई सभा में उथल-पुथल,
सीने में दिल न समाते थे।
स्वर इनकलाब के नारों के
कोसों तक छाए जाते थे।
“हम देंगे-देंगे खून”
शब्द बस यही सुनाई देते थे।
रण में जाने को युवक खड़े
तैयार दिखाई देते थे।
बोले सुभाष, “इस तरह नहीं,
बातों से मतलब सरता है।
लो, यह कागज़, है कौन यहॉं
आकर हस्ताक्षर करता है?
इसको भरनेवाले जन को
सर्वस्व-समर्पण काना है।
अपना तन-मन-धन-जन-जीवन
माता को अर्पण करना है।
पर यह साधारण पत्र नहीं,
आज़ादी का परवाना है।
इस पर तुमको अपने तन का
कुछ उज्जवल रक्त गिराना है!
वह आगे आए जिसके तन में
खून भारतीय बहता हो।
वह आगे आए जो अपने को
हिंदुस्तानी कहता हो!
वह आगे आए, जो इस पर
खूनी हस्ताक्षर करता हो!
मैं कफ़न बढ़ाता हूँ, आए
जो इसको हँसकर लेता हो!”

सारी जनता हुंकार उठी-
हम आते हैं, हम आते हैं!
माता के चरणों में यह लो,
हम अपना रक्त चढाते हैं!
साहस से बढ़े युबक उस दिन,
देखा, बढ़ते ही आते थे!
चाकू-छुरी कटारियों से,
वे अपना रक्त गिराते थे!
फिर उस रक्त की स्याही में,
वे अपनी कलम डुबाते थे!
आज़ादी के परवाने पर
हस्ताक्षर करते जाते थे!
उस दिन तारों ने देखा था
हिंदुस्तानी विश्वास नया।
जब लिक्खा महा रणवीरों ने
ख़ूँ से अपना इतिहास नया।
– श्री गोपाल दास व्यास जी


Shoor veer garveele nayak rashtra bhakt balidani.
Desh pe jaan lutane wale swatantrata senani.

Lakshmi Bai Tatya Tope kabhi na darane wale.
Aajadi ka shankh nad aage badh karane wale.
Hila diya angrejon ko kabhi har na mani.

Bhagat singh Shubhash Bose aajadi ke matwale.
Seena taan ke aage badhate Bharat ke rakhwale.
Kabhi bhulayen na ham un veeron ki vo kurbani.

Senani ke vansaj ka badh ker samman karenge.
Sab kuchh khoya veeron ne un ka ham man karenge.
Shradha se rasana gayegi unki amar kahani.

स्वतंत्रता सेनानी

शूर वीर गर्वीले नायक राष्ट्र भक्त बलिदानी I
देश पे जान लुटाने वाले स्वतंत्रता सेनानी I

लक्ष्मी बाई तात्या टोपे कभी न डरने वाले I
आजादी का शंख नाद आगे बढ़ करने वाले I
हिला दिया अंग्रेजों को कभी हार न मानी I

भगत सिंह शुभाष बोस आजादी के मतवाले I
सीना तान के आगे बढ़ते भारत के रखवाले I
कभी भुलायेंगे न हम उन वीरों की क़ुरबानी I

सेनानी के वंशज का बढ़ कर सम्मान करेंगे I
सब कुछ खोया वीरों ने उन का हम मान करेंगे I
श्रधा से रसना गाएगी उनकी अमर कहानी I


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Yah Mera Hindustan Hai

  0
Yah Mera Hindustan Hai : The Hindi poem "It is my India" is an a standout amongst other energetic poems about India which can be present or sing on the event of 15 August or Indian Independence day or swadhinta diwas or swatantarta diwas. It might be the best Hindi poem for college or school folks for their freedom day celebration. This poem depict the sentiments of Indians for their nation. They say that India is their pride and they can do any thing to save its respect. It says that all Indians are the like blooms of a bunch. They all have different qualities, talents, abilities and attributes and every one of these individuals are the personality of India. And all Indians have just a single dream which is India turned into a reformer and instructor to the whole world.
 04 -AUG-2018  ROOP NARAYAN KAABRA  15 AUGUST POEM  0 COMMENTS  32 VIEWS
Yah Mera Hindustan Hai

Yah mera Hindustan hai,
Yah sare jag ki shan hai,
Humko rakhna isaki aan hai,
Yah mera Hindustan hai....

Guldaste ke phool hain hum sab,
apne rang suvaas liye,
khushboo failate hain jag mein,
hum isaki pehchan hain,
Yah mera Hindustan hai....

Vishav guru Bharat ban jaaye,
hum sabka armaan hai,
Yah mera Hindustan hai,
Yah Bharat desh mahan hai,
Yah mera Hindustan hai....



यह मेरा हिन्दुस्तान है

यह मेरा हिन्दुस्तान है,
यह सारे जग की शान है,
हमको रखनी इसकी आन है,
यह मेरा हिन्दुस्तान है....

गुलदस्ते के फूल हैं हम सब,
अपने रंग सुवास लिए,
खुशबू फैलाते हैं जग में,
हम इसकी पहचान हैं,
यह मेरा हिन्दुस्तान है....

विश्व गुरु भारत बन जाए,
हम सबका अरमान है,
यह मेरा हिन्दुस्तान है,
यह भारत देश महान है,
यह मेरा हिन्दुस्तान है....



मेंरे सपनों का भारत

ममता भारद्वाज "मधु" द्वारा रचित

मेरे सपनों का भारत,
उन्नत ,स्वस्थ ,खुशहाल होगा|
काले अक्षर न होंगें,
शब्दों का संसार होगा |
नई- नई तकनीके होंगी ,
नए -नए विचार होंगें |
नए -पुराने अनुभव मिलकर ,
उत्तमत्ता का सार होगा |
माना आज समस्याएं हैं,
कुछ प्राकतिक विपदाएँ हैं |
अरबों मुँह खाने वाले ,
आवश्यकताऒ के हुए हवाले|
लेकिन यह न भूलों भाई-
अरबों सिरों मैं दिमाग भी हैं|
उनके दुगने हाथ भी हैं|
गर करने पर आ गए तो,
कितना कुछ कर जायेंगें |
मेरे अरबों भारतवासी,
अपने भारत को चमकाएंगे|
विश्व रुपी आकाश में ,
भारत सूरज -चाँद होगा |
मेरे सपनों का भारत,
उन्नत ,स्वस्थ ,खुशहाल होगा|




देश हमारा

देश हमारा सबसे प्यारा,
बच्चों इसे प्रणाम करो.

हिन्दू, मुस्लिम, सिक्ख, इसाई,
साथ यहाँ सब रहते हैं.
सुख -दुःख जो भी इनको मिलते,
सारे मिल कर सहते हैं.
सबने मिल कर ठान लिया है,
भारत का यशगान करो,
बच्चों इसे प्रणाम करो.

होली, दिवाली, क्रिसमस सब, 
हम त्यौहार मनाते हैं.
और ईद के अवसर पर हम,
सबको गले लगाते;हैं.
यह भारत की परम्परा है,
इसका तुम सम्मान करो,
बच्चों इसे प्रणाम करो.

मानवता की रक्षा करते,
मानव धर्म निभाते हैं.
ठुकराया हो जिसको जग ने,
हम उसको अपनाते हैं.
ऐसा भारत अपना भारत,
इसका तुम गुणगान करो.
बच्चों इसे प्रणाम करो.

देश हमारा सबसे प्यारा,
बच्चों इसे प्रणाम करो .






2 comments:

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