रक्षा बंधन का ये है डोर, पवित्र, पावन और बेजोड़!
ये ऐसा त्यौहार अनोखा,
जैसे सावन का पहला झोंका|
दुआ बहन की और मिठाई,
सजती है भाई की कलाई|
लम्बी दूरी करती सहन,
निकले राखी लेकर के बहन|
इस दिन बहना बांधे राखी,
भाई की उम्र हो लम्बी ताकी|
इस दिन लेते है भाई शपथ,
हो बहन की रक्षा शत प्रतिशत|
आओ जाने इसकी कहानी,
जो बहुत निराली बहुत पुरानी|
द्रोपती पर जब विपदा आई,
सामने उसके खड़ा कसाई|
एक ही बस आवाज लगाई,
आ पहुचे श्री कृष्णा भाई|
यूँ त्योहारों से साल सजा है,
रक्षाबंधन का अपना मजा है|
रक्षा बंधन का ये है डोर, पवित्र, पावन और बेजोड़!
आया राखी का त्यौहार,
सुबह-सुबह होकर तैयार,
अंजुल मंजुल दोनों बहनें,
अच्छे-अच्छे कपड़ें पहेने!
अंजुल मंजुल दोनों बहनें,
लेकर राखी और मिठाई,
जाती है भैया के पास,
मन में प्यार भरी है आस!
भैया झुक टीका लगवाता,
बहिनों से राखी बंधवाता,
अंजुल कहती लिए मिठाई,
लो. मूह मीठा कर लो भाई!
भैया हंसकर बरफी खाता,
बहिनों को है गले लगाता,
करता उनको जी भर प्यार,
देता है सुंदर उपहार
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